Sunday 12 July 2015

कहानी : समानता

मैं तुम पर अपनी इच्छाये नहीं थोपना चाहता मगर मैं ये भी नहीं चाहता कि तुम अब उस जगह काम करो "

"मगर मैं वहां काम करके बहुत खुश हूँ और वहां मेरी तरक्की के अवसर भी बहुत हे "

"वो ठीक हे मगर अब देखो तुम ये कॉर्पोरेट की जॉब छोड़ के किसी स्कूल में टीचर बन जाओ , उससे घर के लिए टाइम भी दे पाओगी "

"लेकिन टीचिंग ....."

"देखो मैं बस कह रहा हूँ ..."

"मगर मुझे मेरा काम बहुत पसंद हे ...."

"अरे काम तो सारे ही अच्छे होते हे , फिर औरतों के लिए तो टीचिंग बहुत ही अच्छा आप्शन हेना ..."

"होगा शायद ...मगर मुझे अपनी मार्केटिंग की जॉब में ही चेलेंज महसूस होता हे "

"यार क्या अब तुम मेरी इतनी भी नहीं मान सकती हो ..."

वो चुप थी अब ...सोच रही थी कि क्या इसे ही न थोपना कहते हे ....हाँ वो वाकई थोप नहीं रहा था बस घुमा फिरा के अपनी बात मनवाना चाहता था , या फिर इसे ही तो थोपना कहते हे ...

2 comments:

  1. वास्तविकता का सटीक चित्रण

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  2. वास्तविकता का सटीक चित्रण

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