Wednesday 20 April 2016

वायदा

जानता हूँ क़ि
अब चाहे जैसा भी हो जाऊं,
परखोगे मुझे तुम सदा
मेरी उस एक गलती से,

मेरे हर कहे और किये को
तोलोगे , उस एक वाकये से तुम,
पाल चुके हो एक पूर्वाग्रह ,
अब मेरे लिए निष्पक्ष नहीं हो तुम

मैं अब बुरा करू या अच्छा ,
हर बार तुम्हे याद रहेगा ,
बस मेरा वह अपराध ,
क्योंकि मेरा निर्णय तुम कर चुके हो

मगर तुमसे एक वादा हे मेरा ,
कल गर तुमसे होगा कुछ गलत ,
तब मैं सिर्फ उसके बलबूते नहीं तोलूँगा तुम्हे ,
क्योंकि जानता हूँ ,
होता हे कितना भयानक ,
किसी की नजर में सदा को निर्णित हो जाना ।