Monday 22 June 2015

कविता : सिर्फ तेरी याद में -1

शेष बची यादें हे आज ,
 तेरे वो सारे उपहार ।
तू नहीं तेरी आवाज नहीं ,
 सिर्फ शेष रहे ये ही अहसास।

तेरी उस दी घडी की टिकटिक ,
  मनो कुछ मुझसे कहती हे ।
प्रत्यक्ष नहीं तू साथ मेरे पर
  इस आवाज में तू ही रहती हे ।

तेरा वो स्पर्श मुझे ,
  नसीब नहीं अब छूने को ।
कानो की तेरी बाली कहती
  मत रो शेष नहीं कुछ खोने को ।

तेरा वह कोफी का मग
 फोटो हे जिस पर मेरी ।
दिया हुआ तेरा छल्ला ,
 ह्रदय की छाप जिस पर तेरी ।

सब कहते हर रोज यही ,
 तू आज भी मेरे साथ यहीं
मेरी आँखे जो ढूंढे तुझे
  दिखती हर ओर छवि तेरी ।

वो दी हुयी तेरी डायरी ,
 लिखने को मुझको कहती हे ।
आँशु मेरे सब सूख चुके ,
बस कलम ही मेरी रोती हे ।

जीवन कल तक बाग़ सा था
 उसमे आया क्यों हाहाकार ।
शेष बची यादें हे आज ,
 तेरे वो सारे उपहार ।

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