Wednesday 24 June 2015

एक बेचलर की कथा : भाग 3

एक बेचलर की कथा : भाग 3

डिस्कलेमर - पिछले भाग में बेचलर की किचन में मैग्गी का बखान छूट जाने से इस भाग में मैग्गी से मेरा माफीनामा अर्ज हे

किसी ने सही कहा हे की बेचलर की किचन में अगर कुछ स्थायी हे तो वह मैग्गी हे मैग्गी हे । और तब भी मैं इसे भूल गया वाकई मेरी खता नाकबिले माफ़ी हे (हालानकी इसकी सजा कुछ बेचलर मुझे सार्वजनिक रुप से जालील करके दे चुके हे ) । अतः हे मैग्गी देवी मुझ तुच्छ से बेचलर को माफ़ करना क्योंकि तू ही मेरी वास्तविक पालानहार हे ।

ये एक ऐसा करिश्मा हे जो बना था शायद बच्चों के लिए मगर अपनी असीम सभवनओ के कारन बेचलर्स में ज्यादा प्रभाव जमा पाया । इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका आसानी और तेजी से बन जाने ने ,लाखो कामचोर एवं आलसी बेचलर्स को एक नयी जीवनरेखा दे दी हे । वास्तव में ईश्वर से कमतर नहीं ये ऐसे लोगो के लिए (सोच रहा हु की कभी मेग्गी पर भावपूर्ण आरती अवश्य लिखू तभी बेचलर्स के साथ वास्तविक न्याय होगा )।

मेग्गी वास्तव में चीन में बने नूडल्स का ब्रांड नाम हे मगर जैसे भारत में हर अलमीरा गोदरेज होती हे वैसे ही हर शीघ्र तैयार होने वाला नूडल्स मेग्गी कहलता हे । इस ब्रांडिंग में बेचलर्स का योगदान अविश्मरणीय हे । सुबह का नाश्ता हो या शाम के स्नैक्स या फिर उल्लूरुपी रात्रिचर बेचलर्स की उदरपूर्ति का साधन ,सभी भूमिकाओं में मेग्गी ऐसे समा गयी हे की बेचलर जीवन की कल्पना ही अधूरी हे । इसके उलझे और बेतरतीब नूडल्स स्वयं ही बेचलर की जिंदगी के समानार्थी प्रतिबिम्बक हे ।

जहाँ एक बेचलर मेग्गी के ढेर से घिरा हुआ हे वहीँ एक शादीशुदा के घर में यह उसी दिन बनती हे जब उसकी पतनी ने खाना बनाने से मना कर दिया हो । स्पष्ट हे कि वास्तविक मेग्गी प्रेमी एक बेचलर ही हे । यहाँ तक की वह दिन में तीन बार मेग्गी खाकर भी अगले दिन उसी चाव से इसका नाश्ता करता हे । वाकई ये उसके एकनिष्ठ प्रेम का ही प्रतीक हे ।

मेरे खयाल से मेग्गी के एड में बच्चों के बजाय बेचलर्स को दिखाया जाना चाहिए क्योंकि वे ही वास्तविक मार्किट हे मेग्गी के । अब अगर आगे से आपको मेग्गी के एड में बेचलर दिखाई दे तो उसमें मेरा ही योगदान माना जाये । (क्रमशः)

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