Monday 22 June 2015

कहानी : निस्वार्थ चिंता

कहानी : निस्वार्थ चिंता

सुबह के समय आज वो सैर पर तो निकला मगर बहुत ही अनमने मन से ..कई दिन से तो वो कमरे से भी बाहर नहीं निकला था .. न जाने कितनी सारी  बातें   उसे खाए जा रही थी ..जब एक साथ कई सारी चीजें  दिमाग में हो तो शायद व्यक्ति यह तय नहीं कर पता कि वह क्यूँ परेशान हे ..पिछले कुछ दिनों से ऐसे ही किसी असमंजस का शिकार था वह ..

   खैर आज निकल गया था कमरे से बाहर ..मगर दिमाग का क्या करता वह तो कही फिर छुट गया था , उन कई सारी परेशानियों के बीच ..दिमागी गुत्थमगुत्था में वह आगे बढता जा रहा था और आसपास के हर माहौल  से बेखबर था ..कदम कुछ ऐसे बढ़ रहे थे मानो उन्हें किसी मंजिल की तलाश नहीं थी ..वो सिर्फ बढ़ रहे थे ..अंतहीन, दिशाहीन, सबसे विमुख ...

  अभी कुछ दूर ही निकला था वो इस सफ़र पर कि अचानक एक आवाज ने उसके चिंतित मन को बाधित किया ..ये आवाज करीब दस साल के एक बच्चे की थी जो उससे चाय के पैसे मांग रहा था ..शकल से बेहद गरीब और उजाड़ सा लग रहा ये बच्चा अपनी आँखों में एक अजीब सी कातरता लिए हए था ..उसने आज बिना कुछ कहे उसे 5 रूपये दे दिए थे..आम तौर पर वह मना  कर देता था ..मगर आज अपनी चिन्ताओं  में उसे उस बच्चे कि परेशानी सच्ची नजर आ रही थी ..कुछ कदम आगे और बढ़ा ही था कि एक अधेढ़ उम्र के आदमी को ठेले पर बोरे लादते हुए उसने देखा ..उस आदमी कि कमजोर हड्डिया उसका साथ कभी भी छोड़ सकती थी , मगर परिवार कि भूख ने शायद उन हड्डियों को जोड़े रखा था

...कदम थोडा सा रूककर फिर आगे बढ़ने लगे थे ,,अब न जाने क्यों उसकी चिंताओं ने कोई दूसरा रुख ले लिया था ...सड़क किनारे कूड़े बीनने वाले , फुटपाथ पर सोने वाले आज उसे नजर आ रहे थे ...ऐसा नहीं था कि वह और दिन वहां  नहीं होते थे ..मगर आज उसे हर परेशान और दुखी व्यक्ति साफ साफ नजर आ रहा था ..शायद इसलिए कि आज वह खुद कही अकेला सा था ..

   इन सबके बीच अब वो वापिस लौटने लगा था ..अपने कमरे की और..परेशनिया और चिंताए  अभी भी थी ..मगर इस बार वो सिर्फ अपनी नहीं थी ..वो चिंताए अब स्वार्थ से निस्वार्थ की और बढ़ चुकी थी ...मन पर बोझ तो था मगर अब उसका ध्येय कुछ अलग था ...कदमों में चाल तो थी मगर अब वो पहले कि तरह दिशाहीन , अंतहीन नहीं थे,,अब वो अपनी समस्याओं के कारन सबसे विमुख नहीं था बल्कि अब वो सबकी परेशानियों से सम्बद्ध हो अपनी चिंताए भुला चूका था ...

-समाप्त

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