Tuesday 23 June 2015

एक बेचलर की कथा

एक बैचलर की कथा :

आज कुछ ऐसा लिखने की कोशिश करूँगा जो की ज्यादातर लड़को की दास्ताँ रही हे । ये दासतां थोड़ी लंबी होगी, तो शायद कई भागों में ही लिखूं ।

आज शुरू करता हु एक बैचलर और घर से दूर रह रहे लड़के के कमरे की व्यथा से । सच कहूँ तो इनके कमरे की कथा नहीं व्यथा ही हुआ करती हे । वो क्या हे न कि शुरुआत में तो सारी वस्तुएं बड़ी सजा के रखी जाती हे मगर जैसे ही एक हफ्ता बीता , उन वस्तुओं को खुद नहीं पता होता कि वे आखिर हे कहाँ ? फिर कोई 6 महीने बाद ही इनको फिर से ठिकाने लगाया जाता हे और एक हफ्ते बाद फिर वही व्यथा । और उस पर दुःख ये कि कई चीज़े तो साल भर बाद ही किसी कोने या बिस्तर में दबी मिलती हे , इनमे से कई को लेकर तो दोस्तों पर इन्हें ग़ुम करने का इल्जाम भी लगाया जा चूका होता हे । खैर इसी वजह से इन खोयी हुयी वस्तुओं की कई सारी प्रतिलिपि आपको इस व्यथित कमरे में मिल जाएँगी ।

कमरे में प्रवेश करते ही स्वागत होता हे जूते चप्पलों के ढेर से , जो शुरुआत में ही रंग बिरंगी शक्लो से आने वालों को मुह चिड़ाते हे और कुछ तो उलटे मुह होकर आगंतुक को न घुसने की चेतावनी भी देते हुए लगते ह । पायदान भी होता तो हे मगर वो खुद ही टनो मिटटी के ढेर में दबा अपनी वास्तविक शकल को तरस रहा होता हे । और महीने के ज्यादातर दिनों में धूल की एक हलकी रेशमी परत सारे कमरे की आभा को बड़ा रही होती हे ।  ऐसा नहीं हे की बैचलर सफाई नहीं करता , मगर वो सफाई का वास्तविक आनंद लेने को कई कई दिन तक इस कार्यक्रम को स्थगित करता हे  ताकि जब कई दिन बाद सब साफ़ दिखे तो लगे की मानो यहीं जन्नत हे (कश्मीर टूर कमरे पर करने का आसान उपाय हे ये )।

अगर बैचलर पढ़ाई करता  हे तो कमरे का सबसे बड़ा आकर्षण हे एक मेज और कुर्सी । मगर इसका इस्तेमाल पड़ने में कम  साजो सामान रखने में ही ज्यादा होता हे । मेज तो मानो ड्रेसिंग टेबल,पूजाघर, किताबघर और ना जाने कितने मल्टी परपस कार्य करती हे तो कुर्सी पर तौलिये से लेकर गंदे कपडे तक सभी झूला झूलते रहते हे । हाँ ये अलग बात हे की जिस दिन पड़ना होता हे उस दिन ये  सारे सामान बिस्तर की भेट चढ़ा दिए जाते हे ।वास्तव में मेज कुर्सी के ये सब सामान कमरे के सबसे यूज़फुल मगर लावारिस सामान हे जिनक कोई एक ठिकाना नहीं हे । (क्रमशः)

डिस्क्लेमर : इस व्यथा को मेरी आदतों से जोड़ना या न जोड़ना आपके स्वविवेक पर निर्भर हे

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