Monday 27 June 2016

ज़िन्दगीमय कविता

कविता जो लिखी थी कभी ,
तुक और धुन को ध्यान रखकर,
अब लयहीन हो चुकी हे ,
एकदम ज़िन्दगी की तरह ...

तुकबंदी हे आसान ,
कुछ शब्दों का चयन भर हे मात्र,
किन्तु भाव आते हे ,
कहीं गहरे से अक्सर बिना किसी
लय और तुक के ,
और रच देते हे एक लयहीन कविता ,
जो छोड़ती हे गहरे प्रभाव
एकदम ज़िन्दगी की तरह ....

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