Sunday 20 November 2016

आधुनिक कृष्णा अर्जुन संवाद : 2

आधुनिक कृष्णा अर्जुन संवाद : 2
अर्जुन : क्या कर रहे हो प्रभु ?
कृष्णा : कुछ नहीं पार्थ , बस फेसबुक पर पिछले संवाद को कितनो ने लाइक किया है, वही देख रहा था ।
अर्जुन : आज फिर एक प्रश्न है प्रभु ।
कृष्णा : हाँ ,हाँ पूछों पूछो ।
अर्जुन : प्रभु वो प्रेम मुक्ति है ,ये तो समझ आ गया । किन्तु प्रेम होता तो जीवन में एक ही बार है न ?
कृष्णा : (कृष्णा अभी भी स्मार्टफोन की तरफ देखते हुए बोले) ये किसने कह दिया तुमसे ,अर्जुन ?
अर्जुन : प्रभु ,कल शाम को एक हिंदी फ़िल्म देख रहा था ,उसमें शाहरुख़ खान कह रहा था क़ि हम एक बार जीते है और एक ही बार प्यार करते है । बस इसीलिए पूछा आपसे क़ि प्रेम तो एक ही बार होता है न ?
कृष्णा : (अर्जुन की तरफ देखकर ) अनुज, एक तो तुम ये हिंदी फिल्मो से फिलोसोफी मत पढ़ा करो , और एक बात बताओ प्रेम यदि वाकई एक बार ही होता तो सोचो मैं इतने लोगो से प्रेम कर पाता ? मुझे तो राधा , हर गोपी और अपनी सभी पत्नियो तक से प्रेम था न ?
अर्जुन : मगर प्रभु तब भी आप सच्चा प्रेम तो राधा से ही करते थे , ये तो सच ही है न । तब आपने प्रेम तो एक बार ही किया न ?
कृष्णा : एक तो तुम मनुष्य प्रेम में भी सच्चा और झूठा निकाल लेते हो , अरे प्रेम तो प्रेम ही होता है पार्थ ,उसमें सच्चे झूठे का कैसा प्रश्न (कृष्णा की आवाज थोड़ी तेज हो गयी थी ) और हाँ राधा मेरा पहला प्रेम थीं इसलिए शायद शास्त्रो ने उसे ज्यादा महत्व दिया है और शायद इसलिए भी क़ि वो प्यार , प्यार ही रह गया और शादी में नहीं बदला ।
(थोडा रुककर बोले ) वैसे भी जो प्रेम शादी में बदल जाए, वो प्रेम फिर न जाने क्यूँ उतना गाढ़ा नहीं रहता ।
अर्जुन : ऐसा क्यों प्रभु ?
कृष्णा : इस पर फिर कभी बात करेंगे ,आज के लिए एक ही प्रश्न । अभी के लिए याद रखो क़ि प्रेम जीवन में कई बार हो सकता है , यहाँ तक क़ि एक ही समय में कई लोगो से भी हो सकता है , और इसमें नैतिकता का पेंच मत घुसेड़ देना क्योंकि ये नैतिकता का विषय है ही नहीं पार्थ, ये तो पूर्ण मनोविज्ञान का विषय है ।
अर्जुन : कुछ कुछ समझ तो रहा हूँ प्रभु , समझ रहा हूँ क़ि प्रेम उतना सीधा विषय नहीं जितना कुछ किताबों और फिल्मो में दिखाते है ।
(कृष्णा फिर से फेसबुक में लग गए )

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